Bhool Chuk Maaf – Rajkumar Rao

Bhool Chuk Maaf भूल चुक माफ़ एक ऐसी फ़िल्म है जो कॉमेडी, रोमांस और साइंस-फिक्शन जैसे जॉनर्स को जोड़कर एक अनोखा सिनेमाई अनुभव देने की कोशिश करती है। राजकुमार राव और वामीका गब्बी की जोड़ी स्क्रीन पर ताज़गी लाती है, जबकि कहानी का मूल आधार टाइम लूप है – यानी बार-बार वही दिन जीना और उससे निकलने की जद्दोजहद। यह फ़िल्म एक तरफ़ हल्की-फुल्की हंसी-मज़ाक और छोटे कस्बे की रंगीन दुनिया दिखाती है, तो दूसरी तरफ़ समाज पर तीखी टिप्पणी भी करती है।


Bhool Chuk Maaf कहानी की शुरुआत

कहानी बनारस के दो प्रेमियों, रंजन (राजकुमार राव) और तितली (वामीका गब्बी), से शुरू होती है। दोनों पूरी तरह से एक-दूसरे के दीवाने हैं और शादी करना चाहते हैं। मगर दोनों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि न तो रंजन के पास नौकरी है और न ही तितली को इसकी ज्यादा परवाह है। परिवारों की नाराज़गी से बचने के लिए वे भागकर शादी करने की योजना बनाते हैं, लेकिन बीच में ही तितली को एहसास होता है कि ऐसा करना माता-पिता के साथ नाइंसाफी होगी।

यहीं से कहानी एक मोड़ लेती है। तितली का पिता रंजन के सामने शर्त रखता है कि शादी तभी होगी जब वह दो महीने के अंदर सरकारी नौकरी हासिल करेगा। रंजन इस चुनौती को भी हल्के-फुल्के अंदाज़ में लेता है और ‘जुगाड़’ के भरोसे आगे बढ़ता है।


Bhool Chuk Maaf टाइम लूप का ट्विस्ट

फिल्म की असली दिलचस्पी तब शुरू होती है जब रंजन अपने शादी वाले दिन से एक दिन पहले एक टाइम लूप में फंस जाता है। हर सुबह जब वह उठता है, तो वही तारीख होती है और वही घटनाएं बार-बार दोहराई जाती हैं। शुरुआत में वह इसे मज़ाक समझता है, फिर धीरे-धीरे उसे एहसास होता है कि जब तक वह अपने भीतर और अपने फैसलों में बदलाव नहीं लाएगा, तब तक यह चक्र नहीं टूटेगा।

यह टाइम लूप प्रतीक है उस जीवनशैली का जिसमें हम बार-बार वही गलतियां करते रहते हैं, बिना यह सोचे कि उनके परिणाम समाज और हमारे अपने भविष्य पर क्या असर डालेंगे।


Bhool Chuk Maaf अभिनय और किरदार

राजकुमार राव – छोटे कस्बे के लड़के की भूमिका निभाने में वे माहिर हो चुके हैं। रंजन का किरदार उनकी एक्टिंग से जीवंत हो उठता है, हालांकि यह रोल उन्हें ज़्यादा चुनौती नहीं देता।

वामीका गब्बी – तितली के रूप में वामीका एक चुलबुली और थोड़ी लापरवाह लड़की को बखूबी पर्दे पर उतारती हैं। उनकी स्क्रीन प्रेज़ेन्स फ्रेश और एनर्जेटिक है।

सीमा पाहवा और रघुवीर यादव – रंजन के माता-पिता के रूप में दोनों कलाकार फिल्म को गहराई और प्रामाणिकता देते हैं। खासकर वह दृश्य जब रघुवीर यादव अपनी पत्नी पर पूरी तरह आर्थिक रूप से निर्भर दिखते हैं, समाज की सच्चाई को मज़ेदार लेकिन असरदार ढंग से दिखाता है।

संजय मिश्रा और जाकिर हुसैन – सहायक किरदारों में भी यह दोनों अपनी उपस्थिति से फिल्म को जीवंत बनाते हैं।


Bhool Chuk Maaf ह्यूमर और ड्रामा

फिल्म के पहले हिस्से में गानों और हल्के-फुल्के मजाक की भरमार है। कई बार यह खिंचा हुआ सा लगता है और दर्शक सोचते हैं कि असली कहानी कब शुरू होगी। लेकिन दूसरे हिस्से में फिल्म का टोन बदलता है। यहां सामाजिक संदेश, आत्मचिंतन और रिश्तों की गहराई सामने आती है।

टाइम लूप को निर्देशक ने एक प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया है – यह बताने के लिए कि कैसे हम एक ही गलतियों को बार-बार दोहराते हैं और बदलाव तब तक नहीं होता जब तक हम खुद को बदलने का फैसला न करें।


Bhool Chuk Maaf सामाजिक संदेश

फिल्म यह सवाल उठाती है कि क्या सिर्फ अपने फायदे के लिए किए गए ‘जुगाड़’ समाज के लिए नुकसानदेह नहीं होते? रंजन की लापरवाहियां और जिम्मेदारी से भागना हमें उस पीढ़ी की याद दिलाता है जो व्यक्तिगत इच्छाओं के चक्कर में सामूहिक भलाई को नजरअंदाज कर देती है।

यह संदेश साफ है – हमें अपने कर्मों के परिणामों को समझना होगा और जिम्मेदारी उठानी होगी।


Bhool Chuk Maaf संगीत और तकनीकी पहलू

फिल्म का संगीत औसत है। पहले हिस्से में गानों की अधिकता फिल्म की गति को धीमा करती है। बैकग्राउंड स्कोर ठीक-ठाक है, जो टाइम लूप और कॉमिक सिचुएशन्स में काम करता है। सिनेमैटोग्राफी बनारस की गलियों और रंगों को अच्छे से कैद करती है।


Bhool Chuk Maaf कमजोर और मजबूत पक्ष

मजबूत पक्ष:

  • दूसरे हिस्से की दमदार पटकथा और सामाजिक संदेश
  • राजकुमार राव और वामीका गब्बी की केमिस्ट्री
  • अनुभवी कलाकारों का शानदार अभिनय
  • टाइम लूप का प्रतीकात्मक इस्तेमाल

कमजोर पक्ष:

  • पहले आधे हिस्से में खिंचाव और बेवजह गाने
  • शुरुआत में कहानी की धीमी रफ्तार
  • कुछ हास्य दृश्य ज़्यादा प्रभावी नहीं

Bhool Chuk Maaf निष्कर्ष

भूल चुक माफ़ हल्के-फुल्के हास्य और गहराई वाले संदेश का अनोखा संगम है। यह फिल्म हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने जीवन में कितनी बार वही गलतियां दोहराते हैं और कब हमें जिम्मेदारी से अपने फैसलों का सामना करना चाहिए।

राजकुमार राव और वामीका गब्बी की जोड़ी, अनुभवी कलाकारों का सपोर्ट और टाइम लूप की दिलचस्पी – यह सब फिल्म को देखने लायक बनाता है। हालांकि यह राजकुमार राव की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस नहीं है, लेकिन फिल्म का सामाजिक संदेश और हास्य इसे यादगार बना देते हैं।


अंतिम पंक्ति:
यह VR Panghal का निजी रिव्यू है। हर दर्शक का नजरिया अलग हो सकता है। कृपया हमें इस पर हेट न दें। धन्यवाद


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