Munjya Movie Review

Munjya Movie Review: A Folklore-Fueled Blend of Humor and Horror

भारतीय सिनेमा में हॉरर-कॉमेडी की एक नई पेशकश Munjya, दर्शकों को लोककथाओं और आधुनिक हास्य का अनोखा संगम देती है। निर्देशक आदित्य सरपोतदार ने एक प्राचीन कहानी को आधुनिक ट्विस्ट के साथ परोसा है, जिसमें डर, हंसी, और सामाजिक संदेश का ज़बरदस्त मिश्रण देखने को मिलता है।


Munjya Movie Review: Story Summary

फिल्म की शुरुआत 1952 के कोंकण क्षेत्र से होती है, जहां एक बच्चा गोट्या, मुननी नाम की बड़ी उम्र की लड़की से प्यार करने लगता है। वो उसे पाने के लिए काले जादू का सहारा लेता है, लेकिन उसका प्रयास उल्टा पड़ता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। क्योंकि वह अपने मुंज (जनेऊ संस्कार) के 10 दिन के भीतर मरता है, उसकी आत्मा एक अधूरी इच्छा के साथ पेड़ में बंध जाती है और वह ‘मुंझ्या’ बन जाता है।

वर्तमान में, उसका वंशज बिट्टू (अभय वर्मा) अपने पैतृक गांव आता है और गलती से मुंझ्या की आत्मा को जगा देता है। मुंझ्या अब भी मुननी से शादी करने की अपनी अधूरी इच्छा को पूरा करना चाहता है और बिट्टू की प्रेमिका बेला (शरवरी) को मुननी समझने लगता है। यहीं से शुरू होता है हंसी और डर से भरा एक मजेदार सफर।


Munjya Movie Review: Strengths and Weaknesses of the Film

फिल्म की शुरुआत बेहद प्रभावशाली होती है। गांव का माहौल, लोककथा, और रहस्यमयी पेड़ दर्शकों को बांधे रखते हैं। पहला हाफ डर और कॉमेडी का संतुलन बनाए रखता है।

लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, इसकी ऊर्जा कम होती जाती है। दूसरे हाफ में कहानी कुछ ज्यादा ही हास्यात्मक हो जाती है, जैसे कि आत्माओं की अदला-बदली, और बाबाजी (एस. सत्यराज) द्वारा किए गए अजीबोगरीब तांत्रिक उपाय। इससे फिल्म की हॉरर इंटेंसिटी कम हो जाती है।


Munjya Movie Review: Performances

अभय वर्मा ने बिट्टू के रोल में बहुत ही प्रभावी प्रदर्शन किया है। उनका डर और हास्य में संतुलन कमाल का है। शरवरी ने बेला के किरदार को अच्छे से निभाया है।

मोना सिंह, जो बिट्टू की पंजाबी मां बनी हैं, ने अपनी दमदार उपस्थिति से खूब हँसाया, वहीं सत्यराज ने अपने विचित्र बाबाजी वाले किरदार से फिल्म में एनर्जी भरी।


Munjya Movie Review: Technical Aspects

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है। कैमरामैन सौरभ गोस्वामी ने जंगल और खंडहरों की खूबसूरती और डरावनेपन को बखूबी कैद किया है। रोशनी और छाया का खेल, और कुछ सटीक जंप स्केयर सीन फिल्म की हॉरर को और मज़बूत बनाते हैं।

CGI से बना ‘मुंझ्या’ किरदार बहुत ही प्रभावशाली है। उसका डिजाइन कहीं न कहीं The Lord of the Rings के ‘गोल्लम’ की याद दिलाता है, लेकिन उसका देसी अंदाज़ उसे अलग बनाता है। हालांकि अंत में जब मुंझ्या दूसरों के शरीर में प्रवेश करता है, तो फिल्म कुछ हद तक स्पूफ जैसी लगने लगती है।


Munjya Movie Review: Themes and Social Message

Stree और Bhediya की तरह, Munjya भी एक गहरा सामाजिक संदेश देता है—प्यार में सहमति की अहमियत। फिल्म दिखाती है कि जब प्रेम एकतरफा या जबरदस्ती हो, तो उसके परिणाम कितने भयानक हो सकते हैं। यह संदेश कहानी में अच्छी तरह बुना गया है।


Munjya Movie Review: Flaws and Gaps

फिल्म का दूसरा भाग अपेक्षाकृत कमजोर है। कहानी में कुछ चीज़ें बिना कारण के होती हैं, और कुछ सवाल अनुत्तरित रह जाते हैं। कुछ किरदार सिर्फ कहानी को खींचने के लिए जोड़े गए लगते हैं।


Munjya Movie Review: Final Verdict

Munjya एक मनोरंजक और थोड़ी असमान फिल्म है, लेकिन देखने लायक ज़रूर है। इसकी लोककथा पर आधारित कहानी, जबरदस्त CGI, हास्य, और सामाजिक संदेश इसे एक अनोखा अनुभव बनाते हैं। हालांकि इसकी गति कभी-कभी धीमी हो जाती है और टोन थोड़ा बिखरता है, लेकिन फिल्म आपको बोर नहीं करेगी।

यदि आप हॉरर-कॉमेडी पसंद करते हैं या एक ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जिसमें लोककथा और आधुनिकता का मेल हो, तो Munjya एक अच्छी चॉइस है। और हाँ, एंड क्रेडिट के बाद का सीन मिस मत करना—वो आपको एक बड़े हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स की झलक दे सकता है।


अंतिम पंक्ति ( मेरा स्टाइल ):

यह VR Panghal का निजी रिव्यू है। हर दर्शक का नजरिया अलग हो सकता है। कृपया हमें इस पर हेट न दें। धन्यवाद। इस फिल्म का ट्रेलर RelianceEntertainment चैनल पर उपलब्ध है।

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