
Tehran Movie Review: Spy thriller 2025
Tehran Movie Review: Spy thriller 2025
Points of View : Blavido Movie Review
तेहरान (Tehran) एक ऐसी फिल्म है जो आपको राजनीति, जासूसी और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों की गहरी परतों में ले जाती है। सच्ची घटनाओं से प्रेरित इस फिल्म की कहानी 2012 के दिल्ली बम धमाके के बाद की स्थिति पर आधारित है। निर्देशक अरुण गोपालन ने इसे सिर्फ एक थ्रिलर नहीं बल्कि एक ऐसी कहानी के रूप में पेश किया है जो भारत, ईरान और इज़राइल जैसे देशों की जटिल राजनीति को सामने रखती है।
फिल्म की शुरुआत बेहद धमाकेदार है। दिल्ली में ईरानी दूतावास के बाहर कार बम विस्फोट होता है। यह हादसा सिर्फ एक घटना नहीं बल्कि कई देशों की आपसी तनातनी का नतीजा है। इस हमले में एक बच्चे की मौत हो जाती है और दर्शक तुरंत समझ जाते हैं कि कहानी का दायरा व्यक्तिगत नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का है।
Tehran कहानी और घटनाक्रम
फिल्म का नायक है स्पेशल ऑफिसर राजीव कुमार (जॉन अब्राहम), जिसे एक गुप्त मिशन पर भेजा जाता है। यह मिशन उसे भारत से सीधे तेहरान ले जाता है, जहाँ उसे न सिर्फ दुश्मनों से बल्कि राजनीति के उलझे जाल से भी लड़ना पड़ता है।
राजीव का मिशन आसान नहीं है। एक ओर ईरानी एजेंसियाँ उसका पीछा कर रही हैं, दूसरी ओर भारत भी उस पर भरोसा नहीं करता। ऐसे हालात में उसे अपने बल, बुद्धि और साहस के दम पर सच तक पहुँचना होता है। इस दौरान वह यह भी समझता है कि कई बार असली दुश्मन बाहर नहीं बल्कि भीतर छिपा होता है।
Tehran जासूसी और सस्पेंस का ताना-बाना
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है इसका टाइट नैरेटिव। पटकथा (ऋतेश शाह और आशीष पी. वर्मा) बहुत बारीकी से लिखी गई है। यहाँ दर्शकों को spoon-feed नहीं किया जाता। आपको ध्यान से हर सीन देखना और हर संवाद पकड़ना पड़ता है।
यह फिल्म उन लोगों के लिए खास है जो स्मार्ट और layered thrillers पसंद करते हैं। हालाँकि, जो दर्शक हल्की-फुल्की कहानी या सीधे-सादे ड्रामे की उम्मीद लेकर आएँगे, उनके लिए यह फिल्म थोड़ी कठिन हो सकती है। कई जगह फारसी भाषा में संवाद आते हैं जिनके सबटाइटल्स दिए गए हैं। ऐसे दृश्य ध्यान माँगते हैं और कुछ दर्शकों को भारी लग सकते हैं।
Tehran निर्देशन और प्रामाणिकता
अरुण गोपालन का निर्देशन कसा हुआ और प्रभावी है। उन्होंने न सिर्फ कहानी को रोमांचक बनाए रखा बल्कि असली लोकेशन्स और यथार्थवादी प्रोडक्शन वैल्यूज़ के ज़रिए इसे और विश्वसनीय बनाया। तेहरान की तंग गलियाँ, व्यस्त बाज़ार और रहस्यमयी कोने–सबको इतनी बारीकी से दिखाया गया है कि दर्शक खुद को वहीं मौजूद महसूस करता है।
कैमरा वर्क (Ievgen Gubrebko और Andre Menezes) फिल्म को और मजबूत बनाता है। एक्शन सीक्वेंसेज़ (Doug Coleman और अमृतपाल सिंह की कोरियोग्राफी) शानदार और grounded हैं। चाहे वह कार चेज़ हो, गनफाइट हो या क्लोज़ कॉम्बैट, हर एक्शन सीन रियल लगता है।
Tehran अभिनय
जॉन अब्राहम ने इस फिल्म में बेहद restrained और intense परफॉर्मेंस दी है। उन्होंने राजीव कुमार को एक ऐसे हीरो की तरह निभाया है जो ज़्यादा बोलता नहीं बल्कि अपने काम और एक्शन से साबित करता है। उनकी आँखों और हाव-भाव में एक अधिकारी की दृढ़ता साफ झलकती है।
मनोशी छिल्लर (SI दिव्या) भी एक मजबूत किरदार निभाती हैं। वह सिर्फ एक ग्लैमरस ऐड-ऑन नहीं बल्कि एक no-nonsense ऑफिसर हैं जो कहानी को गहराई देती हैं।
नीरू बाजवा (शैलजा) का किरदार छोटा लेकिन अहम है। उन्होंने उस किरदार को संवेदनशीलता से निभाया जो आसानी से एक-dimensional हो सकता था।
सपोर्टिंग कास्ट, जैसे कि ज़ाकिर हुसैन और अन्य किरदार, कहानी को विश्वसनीय बनाते हैं।
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर (केतन सोढा) तनाव को लगातार बनाए रखता है। जैसे ही स्क्रीन पर खतरे का साया मंडराता है, संगीत दर्शकों के दिल की धड़कनें तेज़ कर देता है।
तनिष्क बागची का गाना “इश्क बुख़ार” (श्रेयाघोषाल और बी प्राक की आवाज़ में) बेहद मधुर है, लेकिन फिल्म की कहानी में यह गाना शामिल नहीं किया गया। इसका इस्तेमाल सिर्फ प्रचार के लिए किया गया है।
मजबूत पहलू
- सच्ची घटना पर आधारित कहानी।
- जॉन अब्राहम का दमदार अभिनय।
- असली लोकेशन्स और यथार्थवादी फिल्मांकन।
- एक्शन सीक्वेंसेज़ का grounded execution।
- बैकग्राउंड स्कोर जो पूरे समय तनाव को बनाए रखता है।
कमज़ोरियाँ
- कहानी बहुत complex और characters से भरी हुई है।
- कई बार प्लॉट की जटिलता भावनात्मक असर को कम कर देती है।
- सबटाइटल्स पर ज़्यादा निर्भरता आम दर्शक के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
- क्लाइमेक्स में कुछ threads अधूरे लगते हैं।
फिल्म का प्रभाव
तेहरान दर्शकों को सिर्फ़ मनोरंजन नहीं बल्कि सोचने का मौका भी देती है। यह दिखाती है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कितनी परतें होती हैं और कैसे एक देश का फैसला दूसरे देश की किस्मत तय कर सकता है।
फिल्म यह सवाल भी उठाती है कि सच्चाई तक पहुँचना इतना कठिन क्यों है और कैसे एक सिपाही कभी-कभी तीन देशों की राजनीति के बीच फँस जाता है।
निष्कर्ष :Tehran Movie Review: Spy thriller 2025
Tehran एक गहन, प्रामाणिक और तनाव से भरी स्पाई थ्रिलर है। यह हर किसी के लिए नहीं है, लेकिन अगर आप detailed geopolitical thrillers पसंद करते हैं और ध्यान से हर सीन फॉलो करने के लिए तैयार हैं, तो यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी।
जॉन अब्राहम का controlled performance, दमदार निर्देशन, असली लोकेशन्स और gripping background score इसे एक engaging अनुभव बनाते हैं।
अंतिम पंक्ति (मेरा स्टाइल) :
यह VR Panghal का निजी रिव्यू है। हर दर्शक का नजरिया अलग हो सकता है। कृपया हमें इस पर हेट न दें। धन्यवाद। इस फिल्म का ट्रेलर Maddock Films चैनल पर उपलब्ध है।