Deva Review: Shahid Kapoor’s Engaging Thriller

Deva Review प्रस्तावना

बॉलीवुड में थ्रिलर जॉनर हमेशा से दर्शकों के बीच लोकप्रिय रहा है। रहस्य, रोमांच और एक्शन से भरी फिल्में दर्शकों को न सिर्फ मनोरंजन बल्कि दिमागी कसौटी पर भी परखती हैं। देवा (Deva) निर्देशक रोशन एंड्रूज की नई कोशिश है, जिसमें शाहिद कपूर मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। यह फिल्म पुलिस, माफिया, हत्या और एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसकी याददाश्त चली जाती है, लेकिन उसका संघर्ष वहीं से शुरू होता है।


Deva Review कहानी

फिल्म की कहानी शुरू होती है पुलिस अधिकारी देव अंबरे (शाहिद कपूर) से, जो अपने बॉस डीसीपी फरहान खान (प्रवेश राणा) को फोन करके बताता है कि उसने हत्या के मामले को सुलझा लिया है और हत्यारे की पहचान कर ली है। लेकिन ठीक उसी समय उसकी ज़िंदगी पलट जाती है — एक बड़े हादसे के बाद देव अपनी याददाश्त खो देता है।

अब उसके पास बस उसका मसल मेमोरी यानी शरीर की आदतें बची हैं। इन्हीं के सहारे उसे अपनी पुरानी ज़िंदगी, अधूरे मामले और छुपे हुए सच का सामना करना पड़ता है। कहानी धीरे-धीरे खुलती है और दर्शक उसके साथ हर कदम पर नई जानकारी पाते हैं।


Deva Review पटकथा और निर्देशन

फिल्म की पटकथा बॉबी-संजय, अब्बास दलाल, हुसैन दलाल, अरशद सैयद और सुमित अरोड़ा ने मिलकर लिखी है। कहानी का पहला हिस्सा धीमी गति से चलता है। इसमें दर्शकों को देव की दुनिया, उसके दोस्तों और माफिया से उसकी लड़ाई से परिचित कराया जाता है।

दूसरे हिस्से में कहानी गहरी और भावनात्मक हो जाती है। यहां से रहस्य और रोमांच और गहराते हैं। फिल्म का टोन धीरे-धीरे एक्शन ड्रामा से इंटेंस इमोशनल थ्रिलर में बदल जाता है।

निर्देशक रोशन एंड्रूज का प्रयास सराहनीय है क्योंकि वे शुरुआत से ही एक रहस्यपूर्ण माहौल बना देते हैं। हालांकि, कई जगह गति धीमी पड़ जाती है और दर्शक थोड़े अधीर हो सकते हैं।


Deva Review अभिनय

  • शाहिद कपूर (देव अंबरे) – फिल्म की सबसे बड़ी ताकत। उन्होंने देव के दो रूपों को बेहतरीन ढंग से दिखाया है — हादसे से पहले का आक्रामक देव और हादसे के बाद का उलझा हुआ, कमजोर देव। कहीं-कहीं उनका अभिनय ओवर-द-टॉप लगता है, लेकिन कुल मिलाकर उन्होंने शानदार परफॉर्मेंस दी है।
  • पूजा हेगड़े (दिया) – देव की गर्लफ्रेंड और पत्रकार। किरदार सीमित है, लेकिन पूजा ने पूरी ईमानदारी से निभाया है।
  • कुब्ब्रा सैत (दीप्ति) – दमदार लेकिन बेहद छोटा रोल। उनकी मौजूदगी कहानी को और मजबूत बना सकती थी।
  • पवैल गुलाटी (रोशन डी’सिल्वा) – देव का दोस्त। फिल्म में उनका किरदार भावनात्मक गहराई जोड़ता है।
  • प्रवेश राणा (फरहान खान) – अधिकारी के रूप में सशक्त उपस्थिति।

Deva Review तकनीकी पक्ष

  • सिनेमैटोग्राफी (अमित रॉय) – फिल्म का लुक और विज़ुअल्स बेहतरीन हैं। खासकर एक्शन सीन और लो-लाइट शॉट्स।
  • एक्शन और स्टंट्स – एनल अरसु और टीम ने रोमांचक एक्शन सीक्वेंस तैयार किए हैं।
  • बैकग्राउंड म्यूज़िक (जेक्स बिजॉय) – तीव्र और दमदार, खासकर एक्शन दृश्यों में।
  • गाने (विशाल मिश्रा, बिजॉय)भसड़ मचा और मरजी चा मालिक फिल्म के मूड को उभारते हैं।
  • VFX – कुछ जगह पर असली नहीं लगते और अनुभव को कमजोर करते हैं।

Deva Review मजबूत और कमजोर पक्ष

मजबूत पक्ष:

  • शाहिद कपूर का अभिनय और दोहरे रूपों की प्रस्तुति
  • रहस्य और सस्पेंस बनाए रखना
  • दमदार एक्शन और बैकग्राउंड स्कोर
  • स्टाइलिश सिनेमैटोग्राफी

कमजोर पक्ष:

  • कहानी की गति बहुत धीमी
  • कई किरदारों की अधूरी कहानी (जैसे कुब्ब्रा सैत का रोल)
  • कुछ अवास्तविक घटनाएं (जैसे स्नाइपर सीन)
  • बचपन की फ्लैशबैक कहानी अधूरी रह जाती है

Deva Review निष्कर्ष

देवा एक ऐसी फिल्म है जो आपको शुरुआत से ही रहस्य और रोमांच के जाल में फंसा लेती है। हालांकि इसकी गति धीमी है और इसमें कुछ कमियां भी हैं, लेकिन शाहिद कपूर का दमदार अभिनय, सस्पेंस और एक्शन इसे देखने लायक बना देते हैं। अगर आप स्लो-बर्न थ्रिलर के शौकीन हैं और धैर्य के साथ एक गहरी कहानी को महसूस करना चाहते हैं, तो देवा आपके लिए है।


अंतिम पंक्ति:

यह VR Panghal का निजी रिव्यू है। हर दर्शक का नजरिया अलग हो सकता है। कृपया हमें इस पर हेट न दें। धन्यवाद।

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